Monday, March 2, 2020

कोरोना वायरसः पढ़ें अभी तक के सब अपडेट्स

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन में फैले ख़तरनाक कोरोना वायरस का अधिकारिक नाम कोविड-19 रखा है.

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि ये नई बीमारी दुनिया के सामने बड़ा ख़तरा बन गई है लेकिन इससे निबटने की वास्तविक संभावना भी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉ टेडरोज़ अधान्योम गिबरेयेसोस ने बताया कि ये नाम इसलिए रखा गया है ताकि वायरस को किसी एक ख़ास क्षेत्र, जानवर या समूह से न जोड़ा जाए.

डब्ल्यूएचओ ने साल 2015 में दिशानिर्देश जारी किए थे जिनके तहत नए वायरस के नामों को जगहों से न जोड़ने की सलाह दी गई थी. इससे पहले इबोला और ज़ीका जैसे वायरसों का नाम उन जगहों के नाम पर रख दिया गया था जहां वो पहली बार मिले थे. अब इबोला और ज़ीका को वायरस का पर्यायवाची बन गए हैं.

इससे पहले मध्यपूर्व में मिले कोरोना वायरस का नाम मर्स यानी मिडिल इस्टर्सन रेसपिरेटरी सिंड्रोम रख दिया गया था. वहीं 1918-20 में फैली महामारी को स्पेनिश फ्लू का नाम दिया गया था.

डब्ल्यूएचओ को लगता है कि क्षेत्रों से वायरस को जोड़ना पूरे क्षेत्र के बारे में नकारात्मक राय बना सकती है. वहीं एच1एन1 संक्रमण को आम भाषा में स्वाइन फ्लू कहा गया था और इस नामांकरण की वजह से सुअरों के प्रति नकारात्मक नज़रिया बना था.

यही वजह है कि इस नए वायरस का नाम कोविड-19 रखा गया है जिसका अर्थ है कोरोना वायरस डिसीज़ और इसमें 19 साल 2019 के लिए हैं क्योंकि ये वायरस सबसे पहले 31 दिसंबर 2019 को पहचाना गया था.

इस वायरस की वजह से चीन में मरने वालों की तादाद एक हज़ार के आंकड़ें को पार कर गई है. बयालीस हज़ार से अधिक लोग संक्रमण का शिकार हैं. अब तक दुनिया के 25 देशों में इसके मरीज़ मिल चुके हैं.

जिनेवा में दुनियाभर से आए चार सौ वैज्ञानिक और डॉक्टर इस नए वायरस के बारे में जानकारियां साझा करने और टीका विकसित करने के लिए जुट रहे हैं.

इस वायरस का स्रोत पता करने की भी कोशिश की जाएगी. अबी तक माना जा रहा है कि ये वायरस चमगादड़ों से किसी और जानवर के ज़रिए होता हुआ इंसानों तक पहुंचा है.

अभी तक इस वायरस का कोई इलाज या टीका नहीं है और डब्ल्यूएचओ बार-बार दुनियाभर के देशों से इससे जुड़ी जानकारियां साझा करने का आह्वान करता रहा है.

ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और जर्मनी में विशेषज्ञों के कई दल इस वायरस का टीका खोजने की कोशिश कर रहे हैं. आमतौर पर इस प्रक्रिया में सालों लगते हैं.

वहीं डॉ. टेडरोज़ का कहना है कि हम इस वायरस के सामने बिलकुल बेबस नहीं है. अगर अभी निवेश किया गया तो इससे निबटा जा सकता है.

अमरीका के फ़ेडरल रिज़र्व के चेयरमैन येरोमी पॉवेल ने कहा है कि चीन की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस से हो रहा असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्था तक भी पहुंच सकता है.

उन्होंने कहा कि अमरीका हालात पर नज़दीकी नज़र रख रहा है. इस वायरस की वजह से चीन की सैकड़ों कंपनियों पर असर हुआ है. इन कंपनियों का कहना है कि उन्हें अपने कारोबार चालू रखने के लिए क़र्ज़ की ज़रूरत होगी.

सबसे ज़्यादा असर यात्रा से जुड़ी कंपनियों पर हुआ है. वायरस की वजह से दुनियाभर के लोगों ने अपनी यात्राओं को या तो टाल दिया है या उनमें फेरबदल किया है.

वहीं उत्तर कोरिया ने भी अपने देश की सीमा की रक्षा के लिए सैकड़ों कर्मचारी तैनात किए गए हैं. अंतरराष्ट्रीय रेड क्रास के मुताबिक ये लोग निगरानी रखने के लिए तैनात किए गए हैं. उत्तर कोरिया ने चीन के साथ सड़क, रेल और हवाई संपर्क को पहले ही काट लिया है.

वहीं दक्षिण कोरिया की मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक़ ये वायरस उत्तर कोरिया पहुंच चुका है.

वायरस के बाद के हालात से निबटने में नाकामी पर चीन ने कई शीर्ष अधिकारियों को पद से हटा दिया है.

हूबेई हेल्थ कमिशन के पार्टी सेक्रेटरी और कमिश्न के प्रमुख को भी नौकरी से हटा दिया गया है. ये पद से हटाए गए सबसे शीर्ष अधिकारी हैं.

हाल के दिनों में वायरस से निबटने के तरीक़े को लेकर चीनी अधिकारियों को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

इस वायरस के बारे में सबसे पहले चेतावनी देने वाले डॉक्टर की वुहान के अस्पताल में मौत के बाद देशभर में लोगों का ग़ुस्सा भड़का है.

सरकार ने भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी के शीर्ष अधिकारियों को जाँच करने के लिए वुहान भेजा है.

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